सुनो री चिड़ियाँ!

 ---चौपाई छन्द---

अरी  सुनो  री  प्यारी चिड़ियाँ।

तेरी     पाँखें    हैं    पंखुड़ियाँ।

डाली-डाली फुदक-फुदक कर,

गाती जाती  क्या  री  चिड़ियाँ?


कभी   फूल  में  चोंच  डुबाकर।

कभी चिहुँक कर,कभी लजाकर।।

मेरे    आँखों   आँख   बचाकर,

इतना  मत  इठला  री  चिड़ियाँ।


माना  तुमको  भी  घर  जाना।

लेकिन फिरसे  वापस  आना।

इस   बगिया  की   टहनी   तेरी,

इन्हें भूल ना जा  री  चिड़ियाँ!


©ऋतुपर्ण

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