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मधुमालती छन्द

मधुमालती एक सम मात्रिक छन्द है। विधान – प्रत्येक चरण में 14 मात्राएँ, अंत में 212 वाचिक भार होता है, 5-12 वीं मात्रा पर लघु अनिवार्य होता है । मापनी-लालालला(२२१२)लालालला(२२१२) उदाहरण एवं समीक्षा हेतु~ श्री कृष्ण यूँ कुछ ज्ञान दो, मेरी पृथक पहचान दो। धुन वेणु की कोई सुभग, भर दो सहज कर दो अलग। धुन सुन हुलस यह मन उठे, पुलकित हृदय क्षण-क्षण उठे । रोके न भव बंधन हमें। उपकार में ही हम रमें । चंचल हृदय यह धीर हो, अन्तः कुशल गंभीर हो। मनमोहना बस कामना, मानस फले सद्भावना! ©ऋतुपर्ण