मुक्तक Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps - August 13, 2023 नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ। नहीं दिखता किनारा है चले आओ चले आओ। हरे! उद्यत हुआ अर्जुन खड़ग बस त्याग देने को, उसी ने फिर पुकारा है चले आओ चले आओ। © ऋतुपर्ण Read more