लाल बहादुर शास्त्री

              ॥आल्हा छन्द॥

                    (बाल-कविता)

 बापू के जन्मदिवस दिन ही,एक नायक जन्मे महान।

इतिहास उन्हें  दुहराता  है,आओ  करें  सभी गुणगान।


शान्ति क्रांति थी दोनों जिसमें, होता भय से अरि लाचार।

सादा   परिधान  पहनते  थे,पर  रखते  वे  उच्च  विचार।


यह उनका प्रसिद्ध नारा था,जय जवान और जय किसान।

हो कृषि  मूलाधार   देश की,एवं  जवान  रक्षक  महान।


भारत पर सर्वस्व निछावर,किया बूंद-बूंद रक्त-स्वेद!

उनके कथनी औ करनी में,किंचित मात्र नहीं थे भेद।


छोटी उनकी कदकाठी थी,पर वे स्वयं थे कर्मवीर।

भाँपते दीनता से अपनी ,दीन दलित सबके ही पीड़।


भारत के नेता थे  ऐसे,जिनके  शब्दों में  थे  ज्वाल।

"भारत छोड़ो" में बोला था,मरो नहीं, मारो बन काल!


चौसठ के हिन्द-पाक रण में,सेना पहुँचा दी लाहौर।

ऐसे दृढ़ संकल्पित जन थे,भयाकुल हो बदला न तौर।


याद रखो नन्हे "नन्हे" के,एक से एक बढ़ आदर्श।

जीवन मे अनुसरण करो रे,उनको तुम सप्रेम सहर्ष!


-ऋतुपर्ण

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